हिंदी भाषा के कल्पना (थ्पबजपवद) साहित्य में व्यंग्य एक बड़ी ही महत्वपूर्ण विधा है। इसके माध्यम से व्यक्ति, परिवार, समाज, राजनीति, धर्म, अर्थ और यहां तक कि ईश्वर जैसे विषयों पर भी बहुत कुछ अभिव्यक्त करने का अवसर मिल जाता है। इसी प्रेरक विचार को मस्तिष्क में रखकर यह लघु काल्पनिक व्यंग्य कथा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
नारायण, विष्णु, लक्ष्मीनारायण, लक्ष्मीपति, मायापति और भी बहुत सारे नाम। इनके नौ अवतार तो पहले ही हो चुके हैं। दसवें अवतार के कलयुग में आने का जिक्र है। पर इस बार वैकुंठ का नजारा कुछ बदला हुआ है। लक्ष्मी जी ने सोच लिया है कि इस बार श्रीनारायण को अकेले अवतार नहीं लेने दूंगी!
सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में नारायण के अवतारों को लेकर ऐसी ही कुछ कहानियां धर्म शास्त्रों और धर्म ग्रंथों के माध्यम से कही और सुनी जाती रही हैं।
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भारतीय संविधान एवं भारतीय राजनीति का पिछले 2 दशकों से अधिक समय से निरंतर अध्ययन कर रहे डॉ. योगेश शर्मा का संबंध मूलतः राजस्थान के जयपुर जिले से है।
राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय में डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त करने एवं पिछले लगभग 15 वर्ष से अधिक समय से राजस्थान के अनेक शहरों और दिल्ली में सिविल सेवाओं के अभ्यर्थियों का सफल मार्गदर्शन करने के पश्चात पिछले 3 वर्ष से पूर्णकालिक लेखन को अपना मुख्य क्षेत्र बना लिया है।
वर्ष 2020 में लेखक की एक पुस्तक भारतीय संविधान सभा (दृष्टिकोण, वैचारिकी एवं बहस) हिन्दी भाषा में प्रकाशित हुई जिसका प्रकाशन राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के द्वारा किया गया है।
यह पुस्तक भारतीय संविधान के प्रावधानों की रचना करने में संविधान सभा की बहस और संविधान सभा के सदस्यों के दृष्टिकोण पर केंद्रित है। संविधान लागू होने से लेकर अब तक अर्थात पिछले 70 वर्षों में भारतीय संविधान सभा की बहस पर मूल रूप से हिन्दी में लिखी गई अब तक की यह सम्भवतः एकमात्र पुस्तक है। 600 पृष्ठों से अधिक और सैकड़ों प्रमाणिक संदर्भ सामग्री का उपयोग करते हुए यह पुस्तक विशुद्ध रूप से अकादमिक एवं शोध कार्यों के लिए लिखी गई है।
अकादमिक क्षेत्र की कुछ अन्य पुस्तकें और अनुवाद के कार्य से भी लेखक का जुडाव वर्तमान में बना हुआ है। इसी मध्य अध्ययन के रूझान के साथ-साथ रचनात्मक लेखन के उद्देश्य से प्रेरित होकर लेखक ने अकादमिक क्षेत्र के साथ-साथ अन्य प्रकार के साहित्य को भी स्वभावानुकूल मानते हुए व्यंग्य षैली में प्रस्तुत पुस्तक का लेखन कार्य किया है जिसका शीर्षक रखा गया है- "अबकी बार... लक्ष्मी नारायण का अवतार" कलियुग की एक व्यंग्य गाथा।
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