इंसान यह मान चुके हैं कि वे इस दुनिया के स्वामी हैं। वे अपने शहरों, अपनी सभ्यता और अपने विज्ञान की बुलंदियों पर खड़े हैं, लेकिन उन्हें एहसास भी नहीं है कि उनकी ही छाया में कुछ और भी विकसित हो रहा है - चुपचाप, धैर्यपूर्वक और अचूक योजना के साथ। बिल्लियों का एक गुप्त समाज, उनकी अपनी भाषा, उनकी अपनी विचारधारा और अब..... उनकी अपनी क्रांति - द ग्रेट फेलिन्यूशन 2025! बिल्लियों का नेतृत्व कर रही है शेरेन - एक करिश्माई और विद्रोही बिल्ली, जो इंसानों की दुनिया को उन्हीं की नज़रों से देख चुकी है और अब उसे बदलने का इरादा रखती है। लेकिन एक इंसान भी है, जो इस अंधेरे में झाँक रहा है - वैज्ञानिक अरुण निगम। उन्होंने कुछ ऐसा देख लिया है, जिसे देखने की इजाज़त किसी इंसान को नहीं थी। अब सवाल यह है कि क्या वह इस रहस्य से पर्दा उठाएंगे या यह अंधेरा उन्हें ही निगल जाएगा? इंसानी सभ्यता की बुनियाद हिलने वाली है। पर सवाल यह नहीं है कि इंसान कितने मजबूत हैं - सवाल यह है कि उन्होंने अपने असली प्रतिद्वंद्वी को अब तक पहचाना भी है या नहीं।
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डॉ. गौरव शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से प्राचीन भारतीय इतिहास में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उनका शोधप्रबंध "Asceticism and Renunciation in Sanskrit Kāvya" संस्कृत काव्यों को ऐतिहासिक स्रोत के रूप में विश्लेषित कर तपस्वियों, संन्यास और समाज के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है। यह शोधप्रबंध संस्कृत काव्य परंपरा में संन्यासी जीवन के संघर्षों, आदर्शों और यथार्थ को समझने का एक सार्थक प्रयास है। इसके अलावा, डॉ. शर्मा के इतिहास संबंधी शोध पत्र कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, जिससे उन्होंने अपने क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। लघु उपन्यास "अंधेरे के उत्तराधिकारी" उनकी पहली हिंदी रचना है, जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान की शुरुआत है। डॉ. गौरव शर्मा हिंदी कविताएं लिखने में भी रुचि रखते हैं। वर्तमान में, वे मुंबई के मलाड पश्चिम स्थित पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय, आईएनएस हमला में इतिहास के पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) के रूप में कार्यरत हैं।
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