इस प्रस्तुत लेखन में 30 स्वरचित कविताओं का संकलन है, जिसे पिछले 18 वर्षों के दौरान (2006-2024) लिखा गया है, मुख्यतया सभी कवितायेँ लेखक के मन में जीवन के मूल स्वरूप को लेकर चल रहे अंतर्द्वन्द्व को अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर पंक्ति बद्ध करने का लघु प्रयास है I प्रस्तुत संकलन लेखक की प्रथम हिंदी पुस्तक है I आशा है आप सभी पाठकों को यह प्रस्तुति तार्किक प्रतीत होगी I
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डॉ. मत्स्येन्द्र कुमार शुक्ला वैज्ञानिक-डी के पद पर पृथ्वी विज्ञान मत्रालय, भारत सरकार में कार्यरत हैं I स्नातक (B.Sc) तक की शिक्षा इन्होनें अपने जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से प्राप्त किया है, तत्पश्चात भूविज्ञान (Geology) में परास्नातक (M.Sc) की डिग्री झाँसी, पी.जी.डिप्लोमा (Remote Sensing & GIS) प्रयागराज (इलाहाबाद), एवं पीएचडी (PhD) अध्ययन वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून में किया, साथ ही इन्होनें CSIR-NET (AIR 21) एवं GATE (AIR 92) की राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया I इन्होनें पोस्ट डॉक्टोरल शोध कार्य लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान में “राष्ट्रीय पोस्ट डॉक्टोरल फेलो (NPDF)” के रूप में किया है I अपने 17 वर्षो से अधिक के शोध कार्य अनुभव के दौरान विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं से सम्बध्द रहे, इस दौरान इनके कई शोध पत्र भी SCI पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं I
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