top of page

मैंने अपनी इस पुस्तक “कौंधा” के अधिकतम भाग की रचना भी पहली पुस्तक “मनन उपवन” की तरह कोरोना काल में ही पूरी की है । यह कोरोना काल मेरे लिये एक तरह से वरदान ही सिद्ध हुआ है जिसमें मैं अपनी पद्य रुचि को जो कि मैं यदा कदा लिख कर गुनगुनाया करता था, को एक पुस्तकीय संरचना का स्वरूप देने में सरलता का अनुभव करने लगा हूँ। हमारा यह भारत देश मात्र एक भूखण्ड नहीं है, न ही यह मात्र एक निवास स्थान है, अपितु यह हमारी पहचान है , जनमानस के गंडस्थल की शान है, हमारी सनातनी सभ्यता का साक्ष्य है, हमारे जीवन का लक्ष्य है, हमारे पूर्वजों द्वारा भारत निर्माण में गलाई गयी उनकी अस्थियों की धूल है, सकल विश्व को परिवार मानने वाली पद्धतियों की मूल है, कर्तव्य को अधिकार से ऊपर रखने का विचार है, और धमनियों व शिराओं में राष्ट्र उत्थान को तीव्र प्रवाह देने वाले संकल्प का संचार है। 

मेरी इस पुस्तक में……

वीर रस में देश प्रेम से लबालब उद्गार होंगे, 
तो वहीं हमारे समक्ष खड़े हमसे उत्तर माँगते कर्तव्यों के भी विचार होंगे ।

इसमें भक्ति भाव में सर्व शक्तिमान की सत्ता का गान होगा, 
तो वहीं इसमें शृंगार रस में लिपटा नारी सौदर्य का भी बखान होगा ।

इसमें भारत की संस्कृति की कुछ कहानियों के छोटे कालखण्डों का रोचक चित्रण होगा,
तो इसमें समाज की व्यवस्थाओं पर यदा कदा कटाक्ष का सम्मिश्रण भी होगा ।

इसमें आधुनिक भारत में हो रही राष्ट्र समर्पित विचारधारा के अभ्युदय के गीत होंगे,
मुझे पूर्ण आशा है आप मेरी दूसरी पुस्तक के भी मीत होंगे ।

Kaundha

SKU: RM458659
₹249.00Price
  •  

bottom of page