डॉ० शिबन कृष्ण रैणा
22 अप्रैल, 1942 को श्रीनगर (कश्मीर) में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्म । एम०ए० तक की सारी शिक्षा कश्मीर में हुई। 1962 में एम०ए० (हिन्दी) कश्मीर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में प्रथम रहकर, अंग्रेजी में एम०ए० राजस्थान विश्वविद्यालय से, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पी०एच०डी० । शोघप्रबन्ध का विषय था: ‘कश्मीरी तथा हिन्दी कहावतों का तुलनात्मक अध्ययन’। हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी आदि भाषाओं का ज्ञान । कश्मीरी भाषा और साहित्य के ख्याति-प्राप्त एवं बहुप्रशंसित हिन्दी-अनुवादक । कश्मीरी रामायण रामावतार-चरित'का सानुवाद लिप्यंतरण हिन्दी क्षेत्रों में बहुचर्चित।इस अनुवाद-कार्य के लिए बिहार राजभाषा विभाग,पटना द्वारा ताम्रपत्र से सम्मानित । कश्मीरी की प्रतिनिधि और श्रेष्ठ कहानियों के अलावा बंशी निर्दोष के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक दौर' का अनुवाद । कश्मीरी के प्रतिनिधि शायर गुलाम अहमद महजूर की चुनी हुई कविताओं का जम्मू व कश्मीर की साहित्य अकादमी के लिए हिन्दी-अनुवाद। केन्द्रीय अकादमी, दिल्ली द्वारा अंग्रेज़ी में प्रकाशित ‘ललद्यद’ और ‘हब्बाखातून' शीर्षक प्रबन्धों का हिन्दी में सुन्दर अनुवाद । प्रकाशित पुस्तकों की कुल संख्या सोलह । स्फुट लेखों, निबन्धों, रेडियो वार्ताओं आदि की संख्या एक सौ के लगभग । आकाशवाणी के लिए कहानी एवं नाट्य-लेखन भी।
देश की दो जातीय संस्कृतियों के बीच वास्तविक एकता के प्रभावी एवं उल्लेखनीय सेतु-निर्माता के रूप में बिहार के राजभाषा विभाग, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, जयपुर, उत्तर-प्रदेश हिन्दी संस्थान,भारतीय अनुवाद परिषद,बिहार राजभाषा विभाग,पटना आदि द्वारा विभिन्न पुरस्कारों एवं ताम्रपत्रों से सम्मानित-प्रशंसित । राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनेक संगोष्ठियों में भागीदारी। कुछ समय के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में अध्यापन-कार्य करने के उपरान्त 1966 में राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा हिंदी व्याख्याता के पद पर चयन । कालान्तर में हिंदी विभागाध्यक्ष, उपाचार्य,प्राचार्य आदि पदों पर कार्य किया । १९९९ से लेकर २००० तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान,शिमला में फेलो रहे जहाँ पर अनुवाद की समस्याओं पर शोधकार्य किया। यह कार्य संस्थान से प्रकाशित हो चुका है। संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के सीनियर फेलो भी रहे हैं. राजस्थान साहित्य अकादमी का पहला ‘अनुवाद पुरस्कार’ प्राप्त करने का श्रेय डॉ० रैणा को है।इनकी पुस्तकें भारतीय ज्ञानपीठ, राजपाल एंड संस, साहित्य-अकेडमी, हिन्दी बुक सेंटर, जे०एंड०के० कल्चरल अकादमी,भुवन वाणी ट्रस्ट, लोकभारती प्रकाशन, वनिका प्रकाशन, ज्ञानमुद्रा प्रकाशन आदि प्रकाशकों से प्रकाशित हो चुकी हैं ।
२०१५ में भारत सरकार द्वारा विधि और न्याय मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति में सदस्य के रूप में नामित।
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