प्रक्रियाओं के सतत गतिशील होने से घटनाऐं परिदृश्य में परिलक्षित होती हैं, जो अन्तःस्थल में अमिट छाप छोड़ जाती हैं, और साहित्यिक विधाओं में सृजित होकर मन की भावनाओं को संप्रेषित करती हैं, यही मुक्तक है। भाव संदीपन ही उद्वेलित होकर चित्रात्मक प्रस्तुति लाक्षणिक शब्दों के द्वारा अभिव्यक्त होते जाते हैं। कवि अपनी कल्पना की समाहार शक्ति से भाषा को आधार बना, शब्द चमत्कार से दृश्य को प्रस्तुत करने में पूर्णतया समर्थ होते हैं, और चुने हुये गुलदस्ते की भाँति आकर्षित करते हैं।
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प्रख्यात शिक्षाविद्, वरिष्ठ हिन्दी लेखिका डॉ. शुभा मेहता मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से ताल्लुक़ रखती हैं। शुभा जी गवर्नमेंट कॉलेज, दुर्ग (म.प्र) में व्याख़्याता (Lecturer) रह चुकी हैं। तत्पश्चात्, जबलपुर विश्वविद्यालय (Jabalpur University) में रिसर्च असिसटेंट (Research Assistant) और उसके बाद केन्द्रीय विद्यालय संगठन से जुड़ी रहीं हैं। शुभा जी संस्कृत से एम.ए (M.A),पी एच.डी (Ph.D) हैं एवं हिन्दी साहित्य से एम.ए (M.A) भी कर चुकी हैं। इस किताब से पहले शुभा जी “नीर आज बहने दो” एवं "दस्तक" नामक ख़ूबसूरत काव्य संग्रह लिख चुकी हैं जो पाठकों के लिए उपलब्ध है। तीसरा काव्य संग्रह “मन की यात्रा” शुभा जी के अनुभवी लेखन की नई कड़ी के रूप में देखा जा सकता है।
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