भारत के प्राचीन इतिहास में ’शाक्य’ शब्द सूर्यवंशी इक्ष्वाकु कुल के क्षत्रियों के लिए प्रयोग हुआ है। इसी वंश में शाक्य-मुनि गौतम बुद्ध ने जन्म लिया था। शाक्यों की एक शाखा हिमालय की तराई में मोरो की ध्वनि से गुंजायमान हरे-भरे प्रदेश में निवास करने लगी जो कालान्तर में ’मोरिय’, ’मौर्य’ कहलायी। इसी क्षत्रिय कुल में चन्द्रगुप्त का जन्म हुआ था जिसने सम्पूर्ण बिखरे भारत को एक सूत्र में बाँधकर बृहद भारत का निर्माण किया था। इस पवित्र कार्य में आचार्य चाणक्य ने एक महती भूमिका अदा की थी। इसी राजा का पुत्र बिन्दुसार तथा पौत्र अशोक था। इस काल के समाज में वैदिक धर्म के अलावा जैन, बौद्ध, आजीवक तथा अन्य सम्प्रदाय के अनुयायी भी काफी संख्या में थे । चूंकि आचार्य चाणक्य साम्राज्य की स्थापना में सर्वोपरि थे, अतः उन्होंने राज्य में ब्राह्मणों के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की थी जिसे सम्राट अशोक द्वारा सामाजिक एकता तथा सुदृढ़ता को ध्यान में रखकर समाप्त करवा दिया गया था।
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