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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की (IIT Roorkee) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफ़ेसर एवं भू-अभियांत्रिकी विभाग के ग्रुप अध्यक्ष, वरिष्ठ हिन्दी लेखक प्रोफ़ेसर डॉ. सत्येन्द्र मित्तल 20 से भी अधिक देशों की यात्राएँ कर वहाँ तकनीकी व्याखान दे चुके हैं। वर्ष 2019-20 का गणेश शंकर विधार्थी सम्मान प्राप्त डॉ. मित्तल को अनेकों अन्तराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं जिनमें- टाटा स्टील अवार्ड, आई.जी.एस. रेशम सिंह अवार्ड, आई.एस.टी.ई. राष्ट्रीय पुरस्कार, महाराष्ट्र सरकार का सर्वश्रेष्ठ अभियंता पुरस्कार, अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार, आई.जी.एस. बेस्ट पेपर अवार्ड, उत्तराखंड राज्य का सर्वश्रेष्ठ अभियंता पुरस्कार, दी इंस्टीट्युशन ऑफ़ इंजीनियर्स का सर्वश्रेष्ठ तकनीकी शोधकर्ता पुरस्कार आदि प्रमुख हैं। इन्होंने सिविल इंजीनियरिंग विषय पर तीन तकनीकी पुस्तकें भी लिखी जिनकी गणना विश्वविख्यात पुस्तकों में की जाती है। यूँ तो डॉ. मित्तल सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर हैं परंतु अपने हिन्दी लेखन के प्रेम को न छोड़ सके। भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया की हिन्दी में प्रथम बार जीवन गाथा इनके द्वारा ही लिखी गई जिसे दी इंस्टीट्युशन ऑफ इंजीनियर्स के द्वारा प्रकाशित किया गया। इनके द्वारा रचित कहानियाँ व लेख मुक्ता, मनोरमा, जाह्नवी, पराग, नंदन, दी टीनेजर्स, अमृत प्रभात, भारत एवं नार्दन इंडिया पत्रिका में भी प्रकाशित हो चुके हैं। इनके द्वारा रचित कहानी 'दारोमा' पर एक फ़िल्म भी बनी जिसमें उन्होने स्वयं एक छोटा सा अभिनय भी किया।

Sookhi Patti

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