स्वर्ण-काली पुस्तक के संबंध में-
यह उपन्यास पाँच राज्यों के निरंतर संघर्षों के मध्य स्वर्णलता और कालीचरण के अद्भुत प्रेम प्रसंगों पर आधारित है । मध्यकालीन पृष्ठभूमि में लिखा गया यह उपन्यास अंत तक रोमांचक बना रहता है विशेषकर तब जब स्वर्णलता के पिता ने अपनी पुत्री के विवाह के पूर्व एक ऐसी शर्त रख दी जिसे कालीचरण ने अपनी प्रतिष्ठा बना ली। क्या कालीचरण वह शर्त पूर्ण करता है?---
जवाहरलाल नेहरू कॉलेज, पासीघाट, अरूणाचल प्रदेश में इतिहास के एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वरिष्ठ हिन्दी लेखक डॉ. राजेश वर्मा का जन्मस्थान जिला भागलपुर, बिहार है। भागलपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने इतिहास विषय में एम.ए (M.A) एवं पीएच.डी (Ph.D) की शिक्षा हासिल की है। पिछले सत्ताईस वर्षों से अरूणाचल प्रदेश की उच्चतर शिक्षा से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू कॉलेज, पासीघाट, अरूणाचल प्रदेश में इतिहास के एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं। अब तक इतिहास से संबन्धित इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं; जिनमें 'पीपुल एंड फॉरेस्ट इन नॉर्थ ईस्ट इंडिया; हिस्ट्री ऑफ़ नॉर्थ ईस्ट इंडिया; उत्तर पूर्व भारत का इतिहास; राष्ट्रवादी मुसलमान 1885-1934 (सह-लेखक) आदि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त राजीव गाँधी विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) अरूणाचल प्रदेश के लिए इन्होंने दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम संबंधित पुस्तकें भी लिखी हैं। आकाशवाणी पर इनकी अनेक रेडियो वार्ताएँ प्रसारित हो चुकी हैं। कथा, कहानी एवं कविता लेखन में रूचि रखने वाले डॉ. वर्मा की अन्य प्रकाशित पुस्तक ‘शिमला की डायरी’ जो लघु उपन्यासों, लघु कथाओं एवं कविताओं का एक संकलन है। इतिहास विषय से संबन्धित इनके अनेक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त समसामयिक विषयों पर भी डॉ. राजेश वर्मा के लेख, कविताएँ एवं बाल कथा इत्यादि समाचार पत्रों में छपते रहते हैं। बाल पत्रिका ‘बाल किलकारी’ पटना में भी इनकी बाल कथा प्रकाशित हुई है।
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