कहानी कहने जा रही हूँ। वह कहानी जो हर औरत की कहानी है। पढी - लिखी, अनपढ हर औरत की कहानी। कुछ देखी, कुछ सुनी कहानी। मात्र औरत ही नहीं, मर्द की भी कहानी। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू जो ठहरे। एक सीधा टिका है, तभी तक जब तक दूसरा उल्टा है। जहाँ जुल्म हैं,वहीं उन्हे झेलने की सहनशक्ति भी है। हर बात कहानी है, हर बयान अफसाना।
जब से मानव जन्मा है, तभी से कहानी का जन्म हुआ है। अपने हर अनुभव को अपनी अनगढ भाषा में कहने में ही कहानी के बीज छिपे हैं।
Tumhen Pahad Hona Hai
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